महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं 2022 में महाशिवरात्रि कब है || Maha Shivaratri in 2022, puja, katha, vrat

2022 में शिवरात्रि कब है, शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, महाशिवरात्रि पर निबंध, महाशिवरात्रि पूजन।

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Maha Shivaratri date, महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, महाशिवरात्रि पर निबंध

हिंदू धर्म में सप्ताहिक मासिक एवं वार्षिक सभी त्योहारों का बहुत महत्व होता है जिसमें भोलेनाथ जी की उपासना को बहुत महत्व दिया गया है बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है सप्ताहिक त्योहारों में से सोमवार का दिन भोलेनाथ जी को समर्पित होता है और जो मासिक त्योहार होते हैं उनमें से “शिवरात्रि” का व्रत और पूजा का बहुत महत्व होता है और वार्षिक त्योहारों में सावन माह, शिवरात्रि और हरतालिका तीज इत्यादि त्योहारों का बहुत महत्व होता है।

शिव जी की पूजा करने के लिए रात्रि और दिन से संबंध के समय को बहुत उपयुक्त माना जाता है शिवजी के किसी भी उपवास अथवा वर्त की पूजा प्रदोष काल में करना बहुत उचित माना जाता है

शिवरात्रि शुभ काल।

(Shivratri shubh tithi)

कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को प्रतिमाह महाशिवरात्रि मनाई जाती है इसके अंदर प्रदोष काल में श्रद्धालु उपवास और पूजा करते हैं।

मासिक शिवरात्रि 2022 में कब है।

(Masik Shivratri in 2022)

तारीख  महीना दिन शिवरात्रि
1 जनवरी शनिवार मासिक शिवरात्रि
30 जनवरी रविवार मासिक शिवरात्रि
1 मार्च मंगलवार महा शिवरात्रि
30 मार्च बुधवार मासिक शिवरात्रि
29 अप्रैल शुक्रवार मासिक शिवरात्रि
28 मई शनिवार मासिक शिवरात्रि
27 जून सोमवार मासिक शिवरात्रि
26 जुलाई मंगलवार मासिक शिवरात्रि
25 अगस्त गुरुवार मासिक शिवरात्रि
24 सितम्बर शनिवार मासिक शिवरात्रि
23 अक्टूबर रविवार मासिक शिवरात्रि
22 नवंबर मंगलवार मासिक शिवरात्रि
21 दिसंबर बुधवार मासिक शिवरात्रि

महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है।

(Maha Shivaratri date 2022)

फाल्गुन कृष्ण पक्ष गीत चतुर्दशी के दिन प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि को मनाया जाता है और महाशिवरात्रि का बहुत ज्यादा महत्व होता है इसको बहुत लोगों द्वारा किया जाता है और 2022 में महाशिवरात्रि 1 मार्च को मनाई जाएगी।

महाशिवरात्रि पूजन विधि एवं वर्त।

(Maha Shivaratri pujan vidhi and vart)

  • मुस्कान में शिवजी की पूजा रात्रि और दिन के मिलन के समय में की जाती है

  • इन दोनों वर्ष में फल आदि खाने होते हैं इसमें अन्न ग्रहण नहीं किया जा सकता।

  • शिवरात्रि पर शिव पूजा करते समय रुद्राभिषेक का बहुत अधिक मैच होता है बहुत सारे लोग शिवरात्रि के दिन अपने सभी परिवार वालों के साथ मिलकर रुद्राभिषेक करते हैं

  • और शिवरात्रि के दिन दीपक जलाने का भी बहुत है ज्यादा महत्व होता है सभी लोग सम्मुख बैठकर दीपक जलाकर शिव जी का ध्यान करते हैं

  • जीके पार्ट होते हैं उसमें शिव पंचाक्षर , शिव पुराण , शिवाष्टक,  शिव चालीसा,  शिव स्तुति और शिव जी के श्लोक इत्यादि का पाठ किया जाता है।

  • शिव जी का ध्यान लगाते समय ओम को बहुत महत्व दिया गया है ओम नमः शिवाय का उच्चारण को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है।

  • इसमें ओम नमः शिवाय के उच्चारण को भी बहुत अधिक महत्व दिया गया है ओम शब्द ऊ और अम यह दोनों शब्द मिलकर बना है ओम को सेंड करने से मन को बहुत अधिक शांति मिलती है ओम शब्द हिंदू धर्म में बौद्ध धर्म में और जैन धर्म तीनों धर्मों में बहुत अधिक महत्व दिया गया है

  • शिव जी का जो सबसे प्रिय महीना होता है वह सावन का होता है

शिवजी का रुद्राभिषेक।

(Shiv rudrabhishek)

शिव जी के रुद्राभिषेक का पूरे सावन माह में बहुत ज्यादा महत्व होता है जिसमें हम शिव जी के नाम का उच्चारण करके बहुत से प्रकार के तरल पदार्थों से शिव जी को स्नान कर आते हैं और शिव जी का रूद्र अभिषेक करते हैं।

यजुर्वेद के अंदर शिव जी के रुद्राभिषेक का बहुत अच्छा विवरण दिया गया है लेकिन उसको पूर्ण रूप से पालन करना बहुत ज्यादा कठिन होता है इसीलिए शिवजी के अभिषेक के साथ शिव के उच्चारण को उचित माना गया है।

रूद्र अभिषेक में लगने वाली सामग्री। 

(Rudrabhishek material)

क्र सामग्री
1 जल
2 शहद
3 दूध (गाय का दूध )
4 दही
5 घी
6 सरसों का तेल
7 पवित्र नदी का जल
8 गन्ने का रस
9 शक्कर
10 जनैव
11 गुलाल , अबीर
12 धतूरे का फुल, फल, अकाव के फुल , बेल पत्र

इन सभी धर्म पदार्थों से शिवलिंगम को स्नान कर आते हैं और सभी स्नान कराते समय ओम नमः शिवाय का जाप भी करते हैं और रुद्राभिषेक आप अपने परिवार वालों के साथ मिलकर भी कर सकते हैं और शिव जी की पूजा हमेशा अपने परिवार वालों के साथ ही मिलकर करें।

शिवरात्रि कथा 1 

(Shivratri story)

एक बार की बात है जब शिव जी का क्रोध आया उनके क्रोध से पूरी पृथ्वी बस में होने की कगार पर आ गई थी उस समय में माता पार्वती जी ने भगवान शिव को शांत करने के लिए उनसे प्रार्थना की फिर माता पार्वती की प्रार्थना से प्रसन्न होकर शिव जी का क्रोध शांत हुआ 

और तभी से कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन उनकी उपासना की जाती है जिसको शिवरात्रि व्रत भी कहा जाता है शिवरात्रि का व्रत रोगों की मुक्ति के लिए और संतान प्राप्ति के लिए तथा मन की शांति के लिए रखा जाता है।

शिवरात्रि कथा 2

(Shivratri story)

कहा जाता है कि एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच कुछ मतभेद हो गया था दोनों में से कौन सा श्रेष्ठ है इस बात को लेकर दोनों के बीच बहुत मनमुटाव हो जाता है उसी समय श्रीजी एक अग्नि के स्तंभ के रूप में वहां पर प्रकट हो जाते हैं 

और वहां पर ब्रह्मा जी से और विष्णु जी से कहते हैं कि मुझे इस प्रकाश और स्तंभ का कोई भी सिरा दिखाई नहीं दे रहा है और सभी ब्रह्मा जी को और विष्णु जी को अपनी गलती का एहसास होता है 

और मैं अपनी भूल का शिवजी से क्षमा याचना करते हैं और इसलिए भी कहां जाता है कि शिवरात्रि के व्रत से इंसान का जो अहंकार होता है वह नष्ट होता है और सभी चीजों के प्रति समानता भाव जगाता है और बहुत सारे विकारों से इंसान दूर रहता है

शिवरात्रि की पूजा और व्रत को हिंदू धर्म में बहुत महत्व दिया गया है इस वर्त को सबसे बड़े वर्त में से एक माना जाता है जिस में शिव मंदिर में जा कर पूजा की जाती हैं और ज्योतिर्लिंग का भी बहुत अधिक महत्व होता है।

12 ज्योतिर्लिंगों के नाम।

(12 Jyotirling name)

  1. विशेश्वर ज्योतिर्लिंग
  2. घ्रिश्नेश्वर ज्योतिर्लिंग
  3. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
  4. मध्य प्रदेश खंडवा में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
  5. उज्जैन मध्य प्रदेश मे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
  6. परली वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्रा)
  7. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
  8. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
  9. श्रीशैलम में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
  10. त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्रा)
  11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
  12. सौराष्ट्र में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

निष्कर्ष।

यह थी “महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है” की कथा और “शिवरात्रि पर निबंध” अगर आपको शिवरात्रि से संबंधित यह कथा यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसको ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं आपको यह जानकारी कैसी लगी।

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