आइये जानते है, शरीर में कैल्शियम क्यों जरूरी है?

आइये जानते है, शरीर में कैल्शियम क्यों जरूरी है? कैल्शियम एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक है। यह हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद करता है, साथ ही साथ मांसपेशियों और तंत्रिकाओं के कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कैल्शियम की कमी से हड्डियों और दांतों की समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने आहार में कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें।

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दूध और दूध से बने उत्पाद कैल्शियम के सर्वोत्तम स्रोत हैं। दूध में पोटेशियम, प्रोटीन, विटामिन ए, डी और बी12 जैसे अन्य जरूरी पोषक तत्व भी होते हैं। पोटेशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है, जबकि विटामिन डी शरीर में कैल्शियम और पोटेशियम के स्तर को नियंत्रित करता है। दूध और दूध से बने उत्पादों का नियमित सेवन न केवल हड्डियों को स्वस्थ करता है, बल्कि डायबिटीज और हृदय रोग के जोखिम को भी कम करता है।

आइये जानते है, शरीर में कैल्शियम क्यों जरूरी है?

हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, ऐमारैंथ, सरसों का साग, चुकंदर का साग, भिंडी और बीन्स भी कैल्शियम से भरपूर होती हैं। इनमें आयरन, विटामिन ए, विटामिन सी और फोलेट भी होता है। इनमें फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है। बच्चों को हर दिन कम से कम ¾ कप इन सब्ज़ियों का सेवन करवाना चाहिए।

सोयाबीन आधारित खाद्य पदार्थ जैसे सोया मिल्क, टोफू और सोया चंक्स को भी कैल्शियम से भरपूर होने के लिए जाना जाता है। इनमें प्रोटीन की मात्रा भी अच्छी होती है। सोया मिल्क में गाय के दूध के समान ही कैल्शियम होता है। इसलिए, यह लैक्टोज-इंटॉलरेंस वाले लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है।

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सफेद वाले छोलों में भी कैल्शियम काफी अच्छी मात्रा में होता है। कैल्शियम में साथ साथ इसमें विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन सी, आहार फाइबर, पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड, मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन और फोलेट से भी होता हैं। चने से बना हम्मस डिप, जो अरबी व्यंजनों में लोकप्रिय है, सैंडविच में मक्खन का भी एक अच्छा विकल्प है।

आइए जानते हैं पैरों के दर्द से राहत के लिए नमक के पानी का उपयोग करने के तरीके

आइए जानते हैं पैरों के दर्द से राहत के लिए नमक के पानी का उपयोग करने के तरीके, पानी में नमक मिलाने से इसमें एप्सम साल्ट (मैग्नीशियम सल्फेट) आ जाता है, यह दर्द निवारक गुणों के लिए जाना जाता है। इसका मुख्य घटक मैग्नीशियम मांसपेशियों के कार्य और सूजन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब मैग्नीशियम सल्फेट को गर्म पानी में घोला जाता है, तो यह त्वचा के माध्यम से अवशोषित हो जाता है, जिससे शरीर में मैग्नीशियम का स्तर बढ़ जाता है। यह खनिज मांसपेशियों को आराम देने, सूजन को कम करने और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने में मदद करता है। जिससे दर्द से राहत मिलती है।

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1 पैरों को पानी में भिगोना

पैरों को पानी में भिगोने के लिए आपको गर्म पानी में एप्सम साल्ट को घोलकर पैरों को 15-20 मिनट तक भिगो कर रखना है। यह विधि पैरों और निचले पैरों में दर्द और सूजन से राहत दिलाने के लिए विशेष रूप से प्रभावी है।

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2. नमक वाले पानी से नहाना

गर्म पानी में नमक मिलाने से पूरे शरीर को मैग्नीशियम के अवशोषण में मदद मिलती है। यह मांसपेशियों के दर्द को दूर करने और आराम को बढ़ाने का एक शानदार तरीका है.

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3. नमक के पानी का सेक

दर्द से राहत के लिए, नमक के पानी का सेक सीधे प्रभावित क्षेत्र पर लगाया जा सकता है। इसमें गर्म पानी और एप्सम साल्ट के घोल में एक कपड़ा भिगोएं और फिर इसे दर्द वाली मांसपेशियों पर लगाया जा सकता है

आईए जानते हैं, आखिर वायु प्रदूषण से शरीर में होने वाली बीमारियां

प्रीमेच्योर डेथ

वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह से जीवन छोटा हो सकता है और समय से पहले मृत्यु हो सकती है।

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कम वजन वाले बच्चों का जन्म

वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से महिलाओं में कम वजन वाले बच्चों का जन्म और शिशु मृत्यु दर का जोखिम बढ़ जाता है, जो प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए अधिक घातक हो सकता है।

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सांस लेने में परेशानी

वायु प्रदूषकों के उच्च स्तर के संपर्क में आने से घरघराहट, खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानी दीर्घकालिक और अल्पकालिक दोनों तरह से हो सकती है।

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अस्थमा अटैक

ओजोन और पॉल्यूशन पार्टिकल को सांस के माध्यम से अंदर लेने से अस्थमा के दौरे बढ़ सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एमरजैंसी रूम और अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है, जो छोटे बच्चों को भी प्रभावित करता है।

आइए जानते है, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल करने के घरेलू नुस्खे

1. जामुन के पत्ते:- जामुन के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट और एंथोसाइनिन जैसे गुण होते हैं, जो नसों में जमा बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं।

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2. तुलसी के पत्ते:- तुलसी के पत्ते मेटाबॉलिक स्ट्रेस और बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। इसके नियमित सेवन से शरीर से अतिरिक्त फैट कम होने लगता है।

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3. मेथी के पत्ते:- मेथी के पत्ते फाइबर, पोटैशियम और कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।

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4. करी पत्ता:- करी पत्ता में एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं, जो बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं और गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करते हैं।

आइए जानते है, किडनी में खराबी से हाथों और पैरों में होने वाले लक्षण

सूजन

दोस्तो जैसा की आप सभी को बता दे कि किडनी की खराबी के कारण आपके शरीर में टॉक्सिंस जमा होने लग जाती हैं, जिसके कारण हाथों और पैरों में सूजन काफी तेजी से बढ़ने लगती है।

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खुजली और रैशेज

इसके अलावा किडनी रोग के कारण आपके शरीर की त्वचा पर खुजली और रैशेज भी हो सकते हैं, जिससे आपकी त्वचा लाल हो सकती है और रैशेज भी पड़ सकते हैं।

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मसल्स में अकड़न

इसके साथ ही किडनी में खराबी के कारण आपके शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन भी होता है, जिससे मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है।

दर्द और थकान

दोस्तो आपको बता दे की किडनी की खराबी के कारण थकान और दर्द भी हो सकता है, ओर छोटे-मोटे काम करने के बाद भी आपको थकान महसूस हो सकती है।

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किडनी में खराबी के अन्य लक्षण

– हाथों और पैरों में सूजन
– त्वचा पर खुजली और रैशेज
– मांसपेशियों में ऐंठन
– थकान और कमजोरी
– हाथों, पैरों और पूरे शरीर में दर्द

आइये जानते है, आयरन की कमी से महिलाओं में होने वाले एनीमिया के गुण

आइये जानते है, आयरन की कमी से महिलाओं में होने वाले एनीमिया के गुण, भारत में हर दो महिलाओं में से एक एनीमिक है। यह हम नहीं कह रहें बल्कि मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर द्वारा आयोजित नेशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे 2015-16 के आंकड़ों से पता चला है। आंकड़ों के अनुसार 15 में से 10 राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे एनीमिक होते हैं, जबकि 11 राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं एनीमिक हैं। देश की हेल्‍थ केयर में बढ़ोतरी के बावजूद, एनीमिया न केवल मेडिकल से जुड़े लोगों बल्कि भारत में तेजी से बढ़ रहे आबादी के लिए भी एक बड़ी चिंता का विषय है।

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सामी लैब्‍स की डायरेक्‍टर और सीनियर साइंटिस्‍ट Ms. Anju Majeed के अनुसार, “एनीमिया दुनिया में सबसे आम पोषक तत्‍वों की कमी संबंधी विकार है। हालांकि यह सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन इससे सबसे ज्‍यादा बच्चे, लड़कियां और खासतौर पर गर्भवती प्रभावित होती हैं। World Health Organization (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, विश्व स्तर पर एनीमिया 1.62 अरब लोगों को प्रभावित करता है।”

आइये जानते है, आयरन की कमी से महिलाओं में होने वाले एनीमिया के गुण

एनीमिया कई तरह के होते हैं, जैसे आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया (आईडीए), विटामिन की कमी से होने वाला एनीमिया, ऐप्लस्टिक एनीमिया आदि। लेकिन भारत सहित दुनिया भर में आईडीए सबसे ज्‍यादा प्रचलित है। Journal Nutrition के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि कम से कम 20 प्रतिशत maternal deaths सीधे एनीमिया से संबंधित हैं।

जबकि Dietary Allowance (RDA) ने पुरुषों के लिए 17 mg/day और महिलाओं के लिए 21 mg/day होना चाहिए। जबकि औसत भारतीय संतुलित आहार में केवल 7-9 mg आयरन/1,000 kcal है। भारत में आईडीए की अत्‍यधिक खपत के लिए दोषपूर्ण आयरन अवशोषण, बार-बार गर्भधारण, जन्‍म के समय आयरन की कमी, बच्‍चों में बार-बार इंफेक्‍शन आदि जैसे अन्‍य कारक जिम्‍मेदार है।

आइये जानते है, आयरन की कमी से महिलाओं में होने वाले एनीमिया के गुण

आयरन की कमी के लक्षण

* थकान और कमजोरी
* चेस्‍ट पेन, दिल की तेज धड़कन और सांस की तकलीफ
* सिरदर्द, चक्कर आना या हल्कापन
* कमजोर नाखून और पीली त्वचा
* भूख में कमी और जीभ में सूजन

Lungs से बॉडी के बाकी अंगों में ऑक्‍सीजन ले जाने के अलावा, आयरन इम्‍यून सिस्‍टम को हेल्‍दी रखने, एनर्जी लेवल को बढ़ाने और सीखने और काम करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए जरूरी होता है। पीरियड्स के दौरान आयरन की मात्रा खाने के कारण महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक आयरन की जरूरत होती है। हर दिन ब्‍लीडिंग के समय लगभग 1 mg आयरन खोता है। आयरन की जरूरत reproductive age, प्रेग्‍नेंसी और ब्रेस्‍टीफीडिंग के दौरान बढ़ जाती है।

आइये जानते है, आयरन की कमी से महिलाओं में होने वाले एनीमिया के गुण

दो प्रकार के डाइटरी आयरन : हेम आयरन और नॉन-हेम आयरन होते हैं। हेम आयरन एनिमल सोर्स जैसे मीट, प्रॉन्स, श्रिम्प आदि में होते है। यह नॉन हेम की तुलना में आसानी से अवशोषित होते हैं। दूसरी ओर, नॉन हेम आयरन plant sources में पाए जाते हैं। अधिकांश आयरन सप्‍लीमेंट synthetically सोर्स होने असुरक्षित होते हैं। इससे कब्‍ज, पेट में गड़बड़ी और कुछ मामलों में उल्‍टी की समस्‍या हो सकती है। हालांकि, बाजार में उपलब्‍ध आयरन सप्‍लीमेंट का क्लीनिकल मूल्‍यांकन किया होता है और इन्‍हें सुरक्षित और प्रभावी समझा जाता है।

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एनीमिया हमारी भावी पीढ़ियों के लिए एक खतरे की तरह है। इसलिए मानव हेल्‍थ और कल्याण के लिए इस विश्‍व स्‍तरीय संकट से निपटने के लिए स्थायी समाधान खोजने का यहीं सही समय है।