आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इन खास फलों का करें सेवन

आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। यहाँ कुछ फूड्स दिए गए हैं जो आंत के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं…

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1. सोयाबीन: सोयाबीन में अमीनो एसिड, प्रोटीन और फाइबर होता है, जो मेटाबॉलिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और शरीर को उच्च पोषण प्रदान करता है।

2. अदरक: अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं और पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं।

आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इन खास फलों का करें सेवन

3. फाइबर युक्त आहार: फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से कब्ज से राहत मिलती है और पाचन तंत्र मजबूत होता है।

4. हरी पत्तेदार सब्जियां: हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन, मिनरल और प्रीबायोटिक्स होते हैं जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं और शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।

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इन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।

आइये जानते है, आखरी फेफड़ों के कैंसर किस कारन होता है?

1. धूम्रपान (Smoking)

डॉ अवि कुमार बताते हैं कि फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण स्मोकिंग है। लंग कैंसर के 85 फीसदी मरीजों की मृत्यु स्मोकिंग के कारण होती है। सिगरेट के धुएं में मौजूद कार्सिनोजेन्स तत्व लंग के सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे सेल्स की ग्रोथ बढ़ने लगती है, जो कैंसर का कारण बन जाते हैं।

2. एस्बेस्टस एक्सपोजर

एस्बेस्टस शीटस को तैयार करने के दौरान निकलने वाली धूल और फाइबर को इनहेल करने से साँस संबधी समस्या बढ़ जाती है। इससे फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। एस्बेस्टस एक मिनरल होता है, जो हवा में लंबे समय तक मौजूद रहता है। इससे फाइबर बनता है। वे लोग माइनिंग, मेनुफेक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन का कार्य करते हैं, वे ज्यादातर इसके संपर्क में रहते हैं।

आइये जानते है, आखरी फेफड़ों के कैंसर किस कारन होता है?

3. वायु प्रदूषण

चाहे इनडोर हो या आउटडोर एयर पॉल्यूशन लंग कैंसर (air pollution cause lung cancer) के मुख्य कारणों में से एक है। डॉ अवि कुमार बताते हैं कि रेडऑन गैस के संपर्क में आने से लंग सेल्स डैमेज का खतरा बढ़ जाता है। इंडोर पाई जाने वाली इस गैस में छोटे रेडियो एक्टिव पार्टिकल पाए जाते हैं, जिससे लंग कैंसर का जोखिम बढ़ने लगता है। इसके अलावा आउटडोर पॉल्यूटेंटस और हार्मफुल गैसिस एयरपॉल्यूशन को बढ़ाती हैं।

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4. अनुवांशिकता

आनुवंशिक कारक भी फेफड़ों के कैंसर को बढ़ा सकते हैं। डज्ञॅ अवि कुमार बताते हैं कि पारिवारिक इतिहास के चलते हर साल स्क्रीनिंग करवाना बेहद आवश्यक है। ऐसे लोगों में लंग कैंसर का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। स्वस्थ्य को लेकर सतर्क रहने से समस्या से बचना आसान हो जाता है।

आइए जानते हैं सारकोमा के कितने प्रकार होते हैं और इनके लक्षण

सरकोमा के दो महत्वपूर्ण प्रकार है

1. हड्डी के सारकोमा

ये कैंसर हड्डियों में शुरू होते हैं। लगभग 10 से 12 प्रकार के अस्थि सारकोमा होते हैं, पेन मेडिसन के अनुसार इसके हर साल 3,000 से 4,000 नए मामले सामने आते हैं। जबकि इनमें से अधिकांश कैंसर बच्चों और युवा वयस्कों में पाए जाते है, कुछ प्रकार विशेष रूप से बुजुर्गों को प्रभावित करते हैं। वे हाथ, पैर, पसलियों, पैल्विक, रीढ़ और खोपड़ी के आधार में हो सकते हैं। सॉफ्ट टिशू सारकोमा की तुलना में हड्डी के सारकोमा अधिक दुर्लभ हैं, लेकिन इसका पता लगाना आसान होता है क्योंकि ये आमतौर पर दर्द का कारण बनते हैं।

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2. सॉफ्ट टिशू सारकोमा

डॉ. मनित बताते हैं कि ये कनेक्टिव टिशू कैंसर वयस्कों में अधिक आम हैं, हर साल 11,000 से 12,000 नए मामले सामने आते हैं। सॉफ्ट टिशू सारकोमा के 50 से अधिक प्रकार हैं। वे सबसे अधिक बार बाहों और पैरों और रेट्रोपेरिटोनियम (पेट का पिछला आधा हिस्सा, या पेट) में पाए जाते हैं। छाती, गर्भाशय, पाल्विक, नितंब, रीढ़, सिर और गर्दन भी इसमें शामिल हैं। सॉफ्ट टिशू सारकोमा के कारण दर्द नहीं होता है, इसलिए आपको लग सकता है कि बढ़ती हुई गांठ गंभीर नहीं है।

आइए जानते हैं सारकोमा के कितने प्रकार होते हैं और इनके लक्षण

हड्डी के सारकोमा के लक्षण

1 रीढ़ की हड्डी में दर्द होना जो लगातार समय के साथ बढ़ता है, दर्द नसों पर दबाव डालने वाले ट्यूमर से हो सकता है और हाथ और पैरों में महसूस हो सकता है।

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2. फ्रैक्चर होना

 हाथ और पैर के सॉफ्ट टिशू का सारकोमा के लक्षण

1 सॉफ्ट टिशू सारकोमा शायद ही कभी दर्द का कारण बनते हैं
2 ये गांठ जो समय के साथ दूर नहीं होती या बढ़ती है
3 गांठें जो सख्त लगती हैं और उन्हें दबाने से आसानी से नहीं हटाया जा सकता
4 ऐसी गांठें जो स्किन के पास की टिशू के अंदर गहराई में बैठती हैं

सर्दियों में संक्रमण का प्रकोप, जानें किन अंगों पर है? सबसे ज्यादा खतरा!

1. फेफड़े (लंग इन्फेक्शन)

फेफड़ों में संक्रमण होने से निमोनिया, ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके लक्षणों में खांसी, बलगम, सांस लेने में तकलीफ, और बुखार शामिल हो सकते हैं।

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2. कान (इयर इन्फेक्शन)

कान में संक्रमण होने से कान दर्द, सूजन, और कान से द्रव आना जैसे लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा, कान में संक्रमण से सुनने की समस्या भी हो सकती है।

सर्दियों में संक्रमण का प्रकोप, जानें किन अंगों पर है? सबसे ज्यादा खतरा!

3. गला (थ्रोट इन्फेक्शन)

गले में संक्रमण होने से गले में खराश, खांसी, और बुखार जैसे लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा, गले में संक्रमण से गंभीर समस्याएं जैसे कि टॉन्सिलाइटिस और लैरिंगाइटिस भी हो सकती हैं।

4. आंखें (आई इन्फेक्शन)

आंखों में संक्रमण होने से आंखों में लालिमा, सूजन, और दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा, आंखों में संक्रमण से दृष्टि समस्याएं भी हो सकती हैं।

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इन संक्रमणों से बचाव के लिए, सर्दियों में खुद को गर्म रखना, हाथों को बार-बार धोना, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना महत्वपूर्ण है। अगर आपको कोई लक्षण दिखाई देते हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।

जानिए कुछ अतिरिक्त पोषक तत्व जिनकी कमी से नींद की समस्या हो सकती है?

 1. मैग्नीशियम

मैग्नीशियम की कमी से भी नींद की समस्या हो सकती है। इसकी कमी को दूर करने के लिए मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कि बादाम, काजू, अखरोट, पालक, और साबुत अनाज का सेवन करें।

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2. जिंक

जिंक की कमी से भी नींद की समस्या हो सकती है। इसकी कमी को दूर करने के लिए जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कि सीफूड, मांस, और दालों का सेवन करें।

जानिए कुछ अतिरिक्त पोषक तत्व जिनकी कमी से नींद की समस्या हो सकती है?

3. कैल्शियम

कैल्शियम की कमी से भी नींद की समस्या हो सकती है। इसकी कमी को दूर करने के लिए कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कि दूध, दही, पनीर, और पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।

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इन पोषक तत्वों के अलावा, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन, और स्वस्थ जीवनशैली भी नींद की समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं।

जानिए आखिर आर्टिस्टिक स्विमिंग से क्या? लाभ होते है…

 1. लचीलापन बढ़ता है

कलात्मक तैराकी आपको खेल के हर पहलू के दौरान लचीला बनने में मदद करेगी, चाहे वह ज़मीन पर हो या पूल में।

2. स्टेमिना बढ़ाती है

लगातार प्रैक्टिस करते रहने से बॉडी में स्टेमिना बढ़ जाता है, जिससे कि अगली बार और बेहतर प्रदर्शन किया जा सकता है।

जानिए आखिर आर्टिस्टिक स्विमिंग से क्या? लाभ होते है…

3. लंग्स की कैपेसिटी इंप्रूव होती है

लंबे समय तक सांस रोकने की प्रैक्टिस आपके लंग्स की कैपेसिटी को बढ़ा देती है, जिससे कि रेस्पिरेटरी हेल्थ भी बेहतर होता है।

4. मांसपेशियों को मजबूत बनाता है

ट्विस्ट, पॉइंटेड टोज़, स्प्लिट्स, लिफ्ट्स जैसी अन्य मूवमेंट मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं।

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आर्टिस्टिक स्विमिंग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। यह आपको अधिक आत्मविश्वासी और सशक्त बनाता है।