पार्वती पंचक स्तोत्र मंत्र: अच्छा जीवनसाथी प्राप्ति हेतु | Parvati panchak Stotra in Hindi and Sanskrit

आप सभी को मेरा नमस्कार: स्वीकार करे। जीवनसाथी प्राप्ति हेतु हम आज आपके लिए लेकर आए हैं पार्वती पंचक स्तोत्र। अगर आपको पति एवं पत्नी प्राप्ति हेतु परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आपका कहीं संयोग नहीं बैठ रहा है तो आप नियमित रूप से जानकी कृत पार्वती स्तोत्र का पाठ करें। इसे शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूरी होगी आप पार्वती पंचक स्तोत्र को पूरी श्रद्धा भाव से करें भगवान आपकी श्रद्धा को देखकर जरूर प्रसन्न होंगे, अगर माता ने चाहा तो आपका कहीं ना कहीं अच्छा संयोग बन जाएगा। चलिए जानते है Parvati panchak Stotra in Hindi के बारे में। 

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पार्वती पंचक स्तोत्र  – Parvati Panchak Stotra

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पार्वती पंचक स्तोत्र – अच्छा जीवनसाथी प्राप्ति हेतु | Parvati panchak Stotra in Hindi and Sanskrit 

घराधरेन्द्र नन्दिनी शशंक मालि संगिनी, सुरेश शक्ति वर्धिनी नितान्तकान्त कामिनी।

निशा चरेन्द्र मर्दिनी त्रिशूल शूल धारिणी, मनोव्यथा विदारिणी शिव तनोतु पार्वती ।

भुजंग तल्प शामिनी महोग्रकान्त भागिनी, प्रकाश पुंज दायिनी विचित्र चित्र कारिणी।

प्रचण्ड शत्रु धर्षिणी दया प्रवाह वर्षिणी, सदा सुभग्य दायिनी शिव तनोतु पार्वती। ।

प्रकृष्ट सृष्टि कारिका प्रचण्ड नृत्य नर्तिका , पनाक पाणिधारिका गिरिश ऋग मालिका।

समस्त भक्त पालिका पीयूष पूर्ण वर्षिका, कुभाग्य रेख मर्जिका शिव तनोतु पार्वती ।

तपश्चरी कुमारिका जगत्परा प्रहेलिका, विशुद्ध भाव साधिका सुधा सरित्प्रवाहिका।

प्रयत्न पक्ष पौसिका सदार्धि भाव तोषिका, शनि ग्रहादि तर्जिका शिव तनोतु पार्वती ।

शुभंकरी शिवंकरी विभाकरी निशाचरी, नभश्चरी धराचरी समस्त सृष्टि संचरी ।

तमोहरी मनोहरी मृगांक मालि सुन्दरी, सदोगताप संचरी

शिवं तनोतु पार्वती।। 

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पति एवं पत्नी के शीघ्र विवाह हेतु मंत्र: विवाह स्तोत्र | Parvati Panchak Stotra in Hindi

पार्वती पंचक स्तोत्र – यदि कन्या विवाह में विलंब हो रहा है या कन्या के योग्य एक अच्छा जीवनसाथी नहीं मिल रहा हो, तब हर रोज माता पार्वती की पूजा करते हुए इस स्तोत्र (Parvati Stotra) का पाठ करना चाहिए, इसका पाठ करने पर शीघ्र ही अच्छा वर मिलेगा अगर माता की कृपया हुई। मंत्र का अर्थ साथ में लिखा हुआ है।

जानकीकृतं पार्वतीस्तोत्रम्जानकी उवाच, 

1. शक्तिस्वरूपे सर्वेषां सर्वाधारे गुणाश्रये । सदा शंकरयुक्ते च पतिं देहि नमोsस्तु ते

  • सबकी शक्ति स्वरूपे ! शिवे ! आप सम्पूर्ण जगत की आधारभूता हैं. समस्त सद्गुणों की निधि हैं तथा सदा भगवान शंकर के संयोग-सुख का अनुभव करने वाली हैं, आपको नमस्कार ह. आप मुझे सर्वश्रेष्ठ पति दीजिए।।1।।

2. सृष्टिस्थित्यन्त रूपेण सृष्टिस्थित्यन्त रूपिणी ।  सृष्टिस्थियन्त बीजानां बीजरूपे नमोsस्तु ते

  • सृष्टि पालन और संहार के जो बीज हैं, उनकी भी बीजस्वरुपिणी आपको नमस्कार है ।।2।।

3. हे गौरि पतिमर्मज्ञे पतिव्रतपरायणे । पतिव्रते पतिरते पतिं देहि नमोsस्तु ते

  • पति के मर्म को जानने वाली पतिव्रतपरायणे गौरि ! पतिव्रते ! पति अनुरागिणी ! मुझे पति दीजिए, आपको नमस्कार है ।।3।।

4. सर्वमंगल मंगल्ये सर्वमंगल संयुते । सर्वमंगल बीजे च नमस्ते सर्वमंगले

  • आप समस्त मंगलों के लिए भी मंगलकारिणी हैं. संपूर्ण मंगलों से संपन्न हैं, सभी प्रकार के मंगलों की बीजरूपा हैं, सर्वमंगले ! आपको नमस्कार है ।।4।।

5. सर्वप्रिये सर्वबीजे सर्व अशुभ विनाशिनी । सर्वेशे सर्वजनके नमस्ते शंकरप्रिये

  • आप सबको प्रिय हैं, सबकी बीजरूपिणी हैं, समस्त अशुभों का विनाश करने वाली हैं. सबकी ईश्वरी तथा सर्वजननी हैं, शंकरप्रिये आपको नमस्कार है ।।5।।

6. परमात्मस्वरूपे च नित्यरूपे सनातनि । साकारे च निराकारे सर्वरूपे नमोsस्तु ते

  • हे परमात्मस्वरूपे ! नित्यरूपिणी ! सनातनि ! आप साकार और निराकार भी हैं, सर्वरूपे ! आपको नमस्कार है।।6।।

7. क्षुत् तृष्णेच्छा दया श्रद्धा निद्रा तन्द्रा स्मृति: क्षमा । एतास्तव कला: सर्वा: नारायणि नमोsस्तु ते 

  • क्षुधा, तृष्णा, इच्छा, दया, श्रद्धा, निद्रा, तन्द्रा, स्मृति और क्षमा – ये सब आपकी कलाएँ हैं, नारायणि आपको नमस्कार है।।7।।

8. लज्जा मेधा तुष्टि पुष्टि शान्ति संपत्ति वृद्धय: । एतास्त्व कला: सर्वा: सर्वरूपे नमोsस्तु ते

  • लज्जा, मेधा, तुष्टि, पुष्टि, शान्ति, सम्पत्ति और वृद्धि – ये सब भी आपकी ही कलाएँ हैं, सर्वरूपिणी ! आपको नमस्कार है।।8।।

9. दृष्टादृष्ट स्वरूपे च तयोर्बीज फलप्रदे । सर्वानिर्वचनीये च महामाये नमोsस्तु ते

  • दृष्ट और अदृष्ट दोनों आपके ही स्वरूप हैं, आप उन्हें बीज और फल दोनों प्रदान करती हैं. कोई भी आपको निर्वचन नहीं कर सकता है. हे महामाये ! आपको नमस्कार है ।।9।।

10. शिवे शंकर सौभाग्ययुक्ते सौभाग्यदायिनि । हरिं कान्तं च सौभाग्यं देहि देवी नमोsस्तु ते

  • शिवे आप शंकर संबंधी सौभाग्य से संपन्न हैं तथा सबको सौभाग्य देने वाली हैं. देवी ! श्री हरि ही मेरे प्राणवल्लभ और सौभाग्य हैं. उन्हें मुझे दीजिए. आपको नमस्कार है ।।10।।

11. स्तोत्रणानेन या: स्तुत्वा समाप्ति दिवसे शिवाम् । नमन्ति परया भक्त्या ता लभन्ति हरिं पतिम् 

  • जो स्त्रियाँ व्रत की समाप्ति पर इस स्तोत्र से शिवादेवी की स्तुति कर भक्तिपूर्वक उन्हें मस्तक झुकाती हैं, वे साक्षात श्रीहरि को पतिरूप में पाती हैं ।।11।।

12. इह कान्तसुखं भुक्त्वा पतिं प्राप्य परात्परम् । दिव्यं स्यन्दनमारुह्य यान्त्यन्ते कृष्णसंनिधिम् 

  • इस लोक में परात्पर परमेश्वर को पतिरूप में पाकर कान्त सुख का उपभोग करके अन्त में दिव्य विमान पर चढ़कर भगवान श्रीकृष्ण के समीप चली जाती हैं ।।12।।

श्री ब्रह्मवैवर्त पुराणे जानकीकृतं पार्वतीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।

श्री ब्रह्मवैवर्त पुराण में जानकी जी द्वारा किया गया पार्वती स्तोत्र पूर्ण हुआ

निष्कर्ष।

अगर आपको पति एवं पत्नी प्राप्ति हेतु परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो आप इस स्तोत्र का प्रतिदिन पूजा करते समय पाठ करें। अगर माता रानी की असीम अनुकंपा रही तो आपकी मनोकामना जल्द से जल्द पूरी होगी और आपको मनचहा वर/वधू मिलेगा। धन्यवाद!!!!

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