नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सब। हम आज आपके लिए लेकर आए हैं एक जातक कथा दो हंसों की कहानी इस Hindi kahani के अंदर हमने दो हंसों की दोस्ती का वर्णन किया है इस Hindi story को आप ध्यानपूर्वक पढ़ें और मनोरंजन करें।
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जातक कथा: दो हंसों की कहानी | The story of two swans
पुराने समय की बात है हिमालय के अंदर स्थित एक मानस नाम की झील हुआ करती थी वहां पर बहुत सारे पशु और पक्षी रहा करते थे और उनके झुंड में हंसों का एक झुंड भी रहता था उनमें दोहन से बहुत सुंदर थे और देखने में भी दोनों एक जैसे लगते थे लेकिन उन दोनों हंसों में एक राजा था और एक सेनापति था जो राजा था उसका नाम धृतराष्ट्र था तथा जो सेनापति था उसका नाम सुमुखा था जो झील का नजारा था वह बादल के बीच में से देखने पर स्वर्ग जैसा लगता था।
Two Swans Hindi story | दो हंसो की कहानी
उस समय में उसे झील के चर्चे तथा वहां पर रहने वाले अंशु के चर्चे सभी आने जाने वाले पर्यटको के साथ-साथ देश विदेश में होने लगे थे और वहां की जो गुणवत्ता है वह कहीं कवि ने अपनी कविता में भी लिखी थी जिससे प्रभावित होकर वाराणसी के एक राजा ने वहां के नजारे को देखने की लालसा जताई और उस राजा ने अपने राज्य के अंदर एकदम वैसे ही चील का निर्माण कराया और वहां पर बहुत सारे फूल पौधों के साथ-साथ अन्य प्रकार की सुंदर चीजें और पेड़ भी लगवाए और साथ ही साथ अन्य प्रकार के पशु पक्षी की देखभाल के लिए उनकी सुरक्षा की व्यवस्था के भी आदेश दिए।
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वाराणसी का जो है सरोवर था यह भी एकदम स्वर्ग जैसा सुंदर दिखता था लेकिन राजा के मन में अभी भी उन दो हंसों को देखने की जिज्ञासा थी जोकि मानस सरोवर झील में रहते थे।
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फिर एक दिन मानस सरोवर में रहने वाले अन्य हंसो ने अपने राजा के सामने वाराणसी की झील में जाने की इच्छा जताई लेकिन जो हंसों का राजा था वह बहुत समझदार था वह यह सब जानता था कि अगर वह सब वहां पर गए तो जो वहां का राजा है वह उनको पकड़ लेगा इसीलिए आंसुओं के राजा ने सभी हंस को वाराणसी के सरोवर में जाने से मना कर दिया लेकिन वह हंस नहीं माने और सेनापति के साथ-साथ सभी हंस वाराणसी की ओर उड़ गए।
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जैसे ही वह सब हंस उस दिल में पहुंचे तो अन्य सभी अंशु को छोड़कर जो प्रसिद्ध दो हंस थे उनकी शोभा देखते ही बनती थी उनकी सोच सोने की तरह चमकती थी और उनके पैर सोने की तरह नजर आते थे और बादलों से ज्यादा सफेद पंख किसी को भी अपनी और आकर्षित कर सकते थे उन सभी हंसो के पहुंचने की खबर राजा को मिली तभी उस राजा ने उन सभी हम सो को पकड़ने की योजना बनाई फिर एक रात जब सब सो गए उस रात अंशु को पकड़ने के लिए एक जाल बिछाया गया फिर अगली सुबह जब हंसों का राजा जागा और वह भ्रमण के लिए निकला तो तभी वह जाल में फंस गया तभी उसने सभी हंसों को आवाज लगाई और वहां से उड़ने को कहा और अपनी जान बचाने के आदेश दिए।
दो हंसों की कहानी | Two swans story in hindi
जो अन्य सभी हंस थे वह सब उड़ गए लेकिन जो सेनापति सुमुखा था वह अपने राजा को देखकर उनकी मदद करने के लिए वहीं पर रुक गया और उसे बीच उन हंसों को पकड़ने के लिए मां पर सैनिक आ गए सैनिकों ने देखा कि जो हंसों का राजा है वह जाल के अंदर फंसा हुआ है और जो राजा का सेनापति है मैं राजा को बचाने के लिए वहीं पर खड़ा हुआ है उस हंस की स्वामी भक्ति को देखकर जो सैनिक तेरे बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुए और उन्होंने जो हंसों का राजा था उसको छोड़ दिया।
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जो हंसों का राजा था वह समझदार तो था ही लेकिन मैं दूरदर्शी भी था उसने सोचा कि अगर राज्य को यह बात पता चल गई कि उसके सैनिक ने हमको छोड़ दिया तो राजन को प्राण दंड दे देगा यह सोच कर हंसो के राजा ने सैनिकों से कहा कि आप हमें अपने राजा के पास ले कर चलो हंस की यह बात सुनकर सैनिक उनको राजा के पास लेकर चले गए दोनों हंस सैनिकों के कांधे पर बैठे हुए थे जब लोगों ने हंसो को सैनिकों के कंधे पर बैठा देखा तो सभी लोग अचंभित हो गए और जब राजा ने इस बात का रहस्य जानना चाहा तो सैनिकों ने राजा को सारी बात सच-सच बता दी तभी राजा के साथ साथ पूरा दरबार जो सुमुखा सेनापति हंस था उसकी स्वामी भक्ति को देखकर सभी हैरान हो गए और उनके लिए सब का प्रेम जाग उठा।
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फिर राजा ने यह सब देख कर सैनिकों को माफ कर दिया फिर राजा ने उन दोनों हंसों को आदर सत्कार के साथ कुछ दिन ठहरने का निवेदन किया फिर हंसो ने राजा का निवेदन स्वीकार किया और कुछ दिन तक मां पर रुक गए और फिर कुछ दिन के बाद वापस मानस झील में चले गए।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमको किसी भी परिस्थिति में अपनों का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
निष्कर्ष।
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